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लेखनी प्रतियोगिता -02-May-2022

कुछ कहूँ

या न कहूँ
या फिर ये मुद्दा छोड़ दूं 
कुछ लिखूं 
पर क्या लिखूं
या फिर कलम को तोड़ दूं
या प्रभु की सृष्टि के
अद्भुत नजारों को लिखूं
या किसी सौंदर्य की
मूरत की सूरत को लिखूं
कुछ लिखूं 
पर क्या लिखूं
आदमी केवल प्रकृति के
अंश को ही चख सका है
इस अगम ब्रह्मांड के
कुछ क्षुद्र कण ही रख सका है
सूर्य को या चन्द्र को 
रात को या प्रभात को
अब भी समझना शेष है
जो जग के रचनाकार के
अस्तित्व का संदेश है
या कण कण
में बैठे उस विधाता के सरल सन्देश
का वाहक बनूँ
पर क्या लिखूं
के



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16 Comments

आपके शब्द और भावों में गहराई है

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वाह Outstanding

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Seema Priyadarshini sahay

04-May-2022 02:23 PM

बहुत खूबसूरत

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Anshumandwivedi426

04-May-2022 08:43 PM

ससम्मान धन्यवाद

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